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यीशु क्रूस पर चढ़ाए जाने के तीन दिन बाद फिर से जीवित हुए थे और उसके 40 दिन बाद अपने चेलों के सामने स्वर्ग को चले गए थे। प्रथम चर्च के सदस्यों ने जिन्होंने यीशु के अद्भुत पुनरुत्थान और स्वर्गारोहण को देखा था, एक–साथ इकट्ठे होकर निरन्तर प्रार्थना की थी। और उन्होंने दस दिनों के बाद पिन्तेकुस्त के दिन में पवित्र आत्मा पाया और निडरता से उद्धारकर्ता यीशु मसीह की गवाही दी। एक दिन में हजारों लोगों ने पापों की क्षमा पाई, और सुसमाचार इस्राएल से आगे बढ़कर अन्य देश तक फैलाया गया। यह प्रथम चर्च के पवित्र आत्मा के आंदोलन की शुरुआत थी।
25 मई को यीशु के स्वर्गारोहण को स्मरण रखने के लिए दुनिया भर के चर्च ऑफ गॉड में स्वर्गारोहण के दिन की पवित्र सभा आयोजित की गई। उस दिन से 10 दिन बाद 4 जून को पिन्तेकुस्त के दिन की पवित्र सभा आयोजित की गई।
स्वर्गारोहण के दिन की पवित्र सभा: पूरी तरह फिर से जन्म लेने पर हमें स्वर्गारोहण का अनुग्रह मिलेगा स्वर्गारोहण का दिन निर्गमन के समय में मूसा के कार्य से शुरू हुआ। इस्राएली फसह मनाने के बाद मिस्र से निकले थे और फिर उन्होंने लाल समुद्र को पार किया था। जिस दिन वे लाल समुद्र से भूमि पर उतरे थे, उस दिन से लेकर कुल 40वें दिन मूसा परमेश्वर की इच्छानुसार सीनै पर्वत पर चढ़ा। यह एक इतिहास है जो स्वर्गारोहण के दिन को छाया के रूप में दिखाता है।
माता ने पिता को धन्यवाद दिया जिन्होंने स्वयं स्वर्गारोहण का उदाहरण दिखाकर मृत्यु की जंजीर में बंधी हुई मानवजाति को स्वर्गारोहण की आशा दी, और विनती की कि सभी संतान स्वर्ग के लोगों के रूप में और अधिक नम्र बनें और सुन्दर स्वभाव रखकर फिर से जन्म लें।
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- Các thánh đồ Đền thờ Giêrusalem Mới Pangyo tham dự Đại nhóm hiệp thánh Lễ Ngũ Tuần.
प्रधान पादरी किम जू चिअल का उपदेश माता की प्रार्थना के जैसा था। पादरी किम जू चिअल ने कहा, “जैसे यीशु ने मानवजाति के उद्धार के लिए स्वर्ग का सिंहासन और महिमा छोड़कर अपने आपको दीन–हीन बना लिया और बलिदान किया, वैसे ही जब हम खुद को छोटा बनाकर एक दूसरे की सेवा करें, तब हम नफरत, ईर्ष्या और झगड़े के बिना सम्पूर्ण प्रेम पूरा करेंगे और इससे हम पुनरुत्थान, स्वर्गारोहण और उद्धार का अनुग्रह पा सकेंगे।” और उन्होंने जोर देकर कहा, “चाहे हमारे जीवन में कठिनाई और कष्ट हो, फिर भी उस स्वर्ग की आशा करते हुए जहां अनन्त जीवन की आशीष है, आइए हम हौसला रखें और बाइबल की सभी आशीषों को पाने वालों के रूप में खुद पर गर्व महसूस करें और उद्धार का समाचार सभी लोगों को सुनाएं(प्रे 1:6–11; रो 12:9–21; मत 20:26–28; लूक 14:7–11)।”
उस दिन की शाम से पिन्तेकुस्त के दिन की प्रार्थना अवधि शुरू हुई। सदस्यों ने भोर और शाम को प्रार्थना की कि पिछली बरसात का पवित्र आत्मा उण्डेला जाए। पर्व शुरू होने से पहले पूरे देश में नौकरी करनेवाले युवा सदस्यों ने प्रचार समारोह का आयोजन किया था, और वे आगे रहकर पर्व के दौरान सुसमाचार का प्रचार करने में लगे रहे।
पिन्तेकुस्त के दिन की पवित्र सभा: नम्र विश्वास रखकर पवित्र आत्मा पायादुनिया भर के सब सदस्यों ने दस दिनों की प्रार्थना अवधि के दौरान ईमानदारी पूर्वक प्रार्थना करते हुए उत्सुकता से प्रचार किया और यह आशा करते हुए कि प्रथम चर्च के दिनों में घटित हुआ पवित्र आत्मा का कार्य इस समय भी दोहराया जाए, खुशी और उत्साह के साथ पिन्तेकुस्त का दिन मनाया।
पिन्तेकुस्त का दिन पुराने नियम में सप्ताहों का पर्व था। यह वह दिन था जिस दिन लाल समुद्र पार करने के बाद 50वें दिन मूसा दस आज्ञाएं प्राप्त करने के लिए सीनै पर्वत पर चढ़ गया था। यीशु ने अपने पुनरुत्थान के बाद 50वें दिन प्रेरितों पर पवित्र आत्मा उण्डेलने के द्वारा पुराने नियम की भविष्यवाणी को पूरा किया।
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सुबह की आराधना के दौरान प्रधान पादरी किम जू चिअल ने पूरी दुनिया में पिन्तेकुस्त के दिन के भरपूर पवित्र आत्मा के बरसने की आशा की। उन्होंने इसका कारण बताया कि क्यों 2,000 वर्ष पहले यीशु ने पवित्र आत्मा उण्डेला था। उन्होंने कहा, “यीशु ने स्वर्ग जाते समय चेलों को दिए अपने इस वचन को पूरा करने के लिए पवित्र आत्मा दिया, ‘सामरिया में और पृथ्वी की छोर तक मेरे गवाह होगे।’ ”
फिर उन्होंने जोर देकर कहा, “जिस प्रकार दाखलता की डालियां जड़ से पोषण प्राप्त करके फल पैदा करती हैं, उसी प्रकार सुसमाचार का अद्भुत परिणाम जिसकी बाइबल में भविष्यवाणी की गई है, हासिल करने के लिए हमें भी पवित्र आत्मा जो परमेश्वर प्रदान करते हैं, प्राप्त करना चाहिए,” और यह कहा, “आइए हम पवित्र आत्मा की शक्ति के साथ समय या असमय वचन का प्रचार करें और पहले से तैयार की गई आशीषें प्राप्त करें(प्रे 2:1–41; यूह 15:1–5; भज 19:1–6; यिर्म 3:17–18; यश 60:1–5)।”
दोपहर की आराधना में माता ने स्वयं उपदेश दिया। माता ने जोर देकर कहा, “उन सदस्यों के लिए जो स्वर्ग में राज–पदधारी याजक बनेंगे, सबसे आवश्यक सद्गुण ‘नम्रता’ है।” और फिर निवेदन पूर्वक कहा, “प्रेम, समझौता, क्षमा और एकता नम्र मन रखने से शुरू होते हैं। आज आपको दिए गए पवित्र आत्मा की शक्ति के द्वारा अपनी जिद और गर्व को निकाल दीजिए और नम्र मन और सुंदर विश्वास के साथ नया जन्म पाकर स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने के योग्य बनिए(मी 6:6–8; सभ 3:12; 1पत 5:6; 1कुर 12:12–27; फिलि 3:19–21)।”
सदस्यों ने जिन्होंने पर्व मनाते हुए अपने विश्वास की मानसिकता को नया रूप दिया और पवित्र आत्मा की आशीष प्राप्त की, अपना संकल्प व्यक्त किया, “हम नम्रता और सेवा करनेवाले मन के साथ प्रथम चर्च के प्रेरितों के समान एकजुट होकर पवित्र आत्मा के कार्य को पूरा करेंगे।”