3 से 7 जून तक पांच दिनों तक मुख्य रूप से मध्य और दक्षिण अमेरिका, उत्तरी अमेरिका, यूरोप और अफ्रीका से विदेशी सदस्यों ने कोरिया में प्रवेश किया। वे 63वें विदेशी मुलाकाती दल के सदस्य थे जो स्पेनिश या पुर्तगाली बोलनेवाले देशों जैसे कि ब्राजील, पेरू, चिली, अर्जेंटीना, इक्वेडर आदि 23 देशों के 80 स्थानीय चर्चों से आए। इस दौरे में आवेदकों की संख्या पांच हजार से अधिक थी, लेकिन उन सभी के प्रबंध में कठिनाई होने के कारण प्रधान कार्यालय को प्रत्येक चर्च के मुलाकातियों की संख्या कम करनी पड़ी। आखिर में कुल 237 मुलाकातियों ने कोरिया की भूमि पर कदम रखे। उनमें से 90 प्रतिशत से ज्यादा सदस्य 20 या 30 वर्ष की उम्र के सुसमाचार के सेवक थे, जो कोरिया में पहली बार आए थे। वे इस आशा के साथ कोरिया आए कि वे व्यक्तिगत रूप से माता से मिलकर उनके प्रेम को महसूस करें और सीखें और वह प्रेम अपने स्थानीय चर्च के सदस्यों और पड़ोसियों के साथ बांटें।
माता ने अपने हार्दिक प्रेम से 63वें विदेशी मुलाकाती दल का स्वागत किया, जो दो या तीन दिन की लंबी यात्रा के बावजूद पृथ्वी की छोर से आए थे। माता ने उनके स्थानीय चर्चों के सदस्यों का कुशल–समाचार पूछा जो उनके साथ कोरिया में नहीं आ सके, और उन्होंने व्यक्त किया कि वह कितना उन्हें याद करती हैं। माता ने आशा की कि मुलाकाती दल के सदस्य बहुतायत से पवित्र आत्मा की आशीष पाएं और उसे अपने देशों में भी पहुंचाएं। माता ने उनसे कोरिया में रहने के दौरान किसी असुविधा के बारे में बताने के लिए कहा और कोरिया में फैल रहे एमइआरएस को रोकने के लिए अक्सर गर्म पानी पीने और पर्याप्त आराम करने के लिए कहा। माता ने हर एक सदस्य के स्वास्थ्य की देखभाल की। ऐसी अच्छी देखभाल के साथ विदेशी सदस्य और कोरियाई सदस्य बिना किसी स्वास्थ्य समस्या के सभी कार्यक्रम समाप्त कर सके।
मुलाकाती दल के कार्यक्रम में बाइबल सेमिनार, स्थानीय चर्चों व चर्च ऑफ गॉड इतिहास संग्रहालय का दौरा, कोरिया की संस्कृतियों का अनुभव इत्यादि मौजूद थे। सदस्यों ने जो पहली बार माता से मिले, खुशी, धन्यवाद और पश्चाताप के आंसू बहाए। वे पूरे कार्यक्रम के दौरान मुस्कान पहने हुए थे। कुछ सदस्य जो पहले कभी कभार हंसे थे, और पुरुष वयस्क सदस्य जो पहले हमेशा चर्च में गंभीर दिखे थे, यहां हर समय मुस्कुराए; वे एक दूसरे के बदलाव को देखकर चकित थे।
“पहले, मैं ऐसा व्यक्ति नहीं था जो मुस्कुराता था। लेकिन जब से मैं यहां आया हूं, मैं खुद को हंसने से रोक नहीं सकता। माता हमेशा मुस्कुराती हैं और हमसे पूछती हैं कि क्या हम अच्छे से सोए या क्या खाना स्वादिष्ट है। और वह मेरी भाषा में कहती रहती हैं, ‘मैं आपसे प्रेम करती हूं, मैं आपको धन्यवाद देती हूं।’ वह हमें आशीष देती रहती हैं और प्रेम देती हैं। हम सच में खुश हैं क्योंकि माता हमारे साथ हैं।”
विदेशी सदस्यों ने एक दूसरे से अपनी भाषा में “परमेश्वर आपको आशीष दें,” कहकर अभिवादन करने के बाद कोरियाई भाषा में कहा, “अमोनी मीसोइमाता की मुस्कानउ” यह माता के इस वचन का पालन करने के लिए था, “यदि आप मुस्कुराते हुए सुसमाचार का प्रचार करें, तो सुसमाचार का कार्य सफल होगा।” पवित्र कैलेंडर के अनुसार नए वर्ष से ब्राजील के सदस्यों ने इस तरह अभिवादन करना शुरू किया। अभिवादन करने का यह तरीका जल्द ही 63वें विदेशी मुलाकाती दल में फैल गया। जैसे यह कहावत है, “यदि आप हंसेंगे, तो आशीष आपकी ओर आएगी,” उनके दौरे के दौरान यह खुशी का समाचार उनके कानों को मिला कि चर्च ऑफ गॉड को राष्ट्रपति के प्रशस्ति पत्र से पुरस्कृत किया गया है। इससे उनका आनन्द कई गुणा बढ़ गया।
जब लगभग दो सप्ताहों की उनकी यात्रा समाप्त हुई, भले ही सदस्यों को बिछड़ने का दुखा था, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए नई ऊर्जा से भरकर अपने देश वापस गए, “हम जल्दी लौटना चाहते हैं ताकि जो प्रेम और खुशी हमने माता से पाई है, उसे अपने देश में सभी सदस्यों को पहुंचा सकें।”
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